Thursday, July 17, 2008

Oh Mere WG

कहीं ऐसा न हो पाँव मेरे थर्रा जाए
और तेरी मरमरी बाँहों का सहारा न मिले
अश्क बहते रहे खामोश सियाह रातों में
और तेरी रेशमी आँचल का किनारा न मिले

-साहिर लुधियानवी

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